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Rajasthan: अजमेर दरगाह क्षेत्र से बेदखली के नोटिस पर हाईकोर्ट का स्टे, 6 साल पहले अदालत दे चुकी है राहत

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अजमेर की ऐतिहासिक दरगाह और तारागढ़ हिल्स के आसपास के क्षेत्र में रहने वाले लोगों को वन विभाग द्वारा जारी नोटिस पर हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुनाया है। हाईकोर्ट ने वन विभाग द्वारा जारी अतिक्रमण हटाने के नोटिस पर रोक लगा दी है। वार्ड संख्या 46 निवासी अब्दुल सत्तार ने अधिवक्ता सैयद सआदत अली के माध्यम से राजस्थान हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। मामले की सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति अनिल कुमार उपमन ने वन विभाग, नगर निगम और अजमेर जिला प्रशासन को यथास्थिति बनाए रखने के निर्देश दिए हैं। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि इस मामले में अंतिम निर्णय आने तक आवेदक अब्दुल सत्तार के आवास और दुकान के खिलाफ कोई कार्रवाई न की जाए। कोर्ट ने निर्देश दिए कि यदि भविष्य में आवेदक के खिलाफ कोई आदेश आता है तो उसे नोटिस का जवाब देने के लिए 1 महीने का समय दिया जाए। इसके बाद ही मामले का नियमानुसार निस्तारण किया जाए।

5 पीढ़ियों से यहाँ रह रहा है परिवार
याचिकाकर्ता के वकील ने दलील दी है कि अब्दुल सत्तार और उनका परिवार 1970 से पहले से इस जगह पर रह रहे हैं। इस दावे के समर्थन में उन्होंने 1970 का बिजली बिल और कनेक्शन से जुड़े दस्तावेज़ अदालत के समक्ष पेश किए। साथ ही बताया कि सत्तार की 5 पीढ़ियाँ यहाँ रह रही हैं।

2019 में भी दिया था स्थगन आदेश

इससे पहले वर्ष 2019 में नगर निगम द्वारा अतिक्रमण के मामले में एक मामला भी दर्ज किया गया था, जिसे स्थानीय अदालत ने खारिज कर दिया था और यथास्थिति बनाए रखने के आदेश दिए थे। इसके बाद 1 अप्रैल, 2025 को वन विभाग द्वारा अब्दुल सत्तार को दुकान और मकान हटाने के संबंध में एक नया नोटिस चिपकाया गया, जिसका आवेदक ने नियमानुसार जवाब दिया।

तर्क - सरकार बदलने पर मुसलमानों को परेशान किया गया

वकील ने दलील में यह भी कहा कि जब भी सरकारें बदलती हैं, मुसलमानों को निशाना बनाया जाता है और परेशान किया जाता है। सभी तथ्यों को सुनने के बाद कोर्ट ने आवेदक को राहत प्रदान की और फिलहाल किसी भी तरह की कार्रवाई पर रोक लगा दी है।

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