राजस्थान में फोन टैपिंग मामले को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और उनके पूर्व ओएसडी लोकेश शर्मा के बीच जुबानी जंग तेज हो गई है। केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत पर गहलोत के हालिया हमले के बाद, लोकेश शर्मा ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'X' पर एक पोस्ट के ज़रिए उन पर तंज कसा है। शर्मा ने गहलोत के जवाब को देरी से दिया गया और "दबाव" में दिया गया बताया है, जिससे राजनीतिक गलियारों में चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया है।
लोकेश शर्मा ने अपनी पोस्ट में लिखा है
शर्मा ने अपनी पोस्ट में लिखा है, "आप बहुत देर से आए हैं सर.. इतनी आलोचना और भारी दबाव के बाद खुद को सही साबित करने के लिए जवाब देने में 24 घंटे लग गए।" यह तंज गहलोत के उस बयान के बाद आया है, जिसमें उन्होंने शेखावत पर सरकार गिराने की साजिश में शामिल होने का आरोप लगाया था।
लोकेश शर्मा ने गहलोत को सीधी चुनौती दी
लोकेश शर्मा ने गहलोत को सीधी चुनौती देते हुए कहा कि अगर उनके पास अमित शाह, धर्मेंद्र प्रधान, गजेंद्र सिंह शेखावत और सचिन पायलट के खिलाफ सरकार गिराने की साजिश रचने के सबूत हैं, तो उन्हें सार्वजनिक करना चाहिए। उन्होंने लिखा, "खैर, अब जब मैंने यहाँ बहुत कुछ लिख ही दिया है, तो कल अपने आवास पर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करके अमित शाह, धर्मेंद्र प्रधान, गजेंद्र सिंह शेखावत और सचिन पायलट, जिन्होंने आपकी सरकार गिराने की साज़िश रची थी, के ख़िलाफ़ अपने पास मौजूद सबूतों को राज्य और देश की जनता के सामने सार्वजनिक कीजिए..."
फ़ोन टैपिंग मामले से जुड़े कई तीखे सवाल भी उठाए
शर्मा ने फ़ोन टैपिंग मामले से जुड़े कई तीखे सवाल भी उठाए, जिससे गहलोत सरकार का विवादास्पद घटनाक्रम फिर से सुर्खियों में आ गया है। उन्होंने पूछा कि फ़ोन टैपिंग किसने करवाई...??
आपने मुझे जो ऑडियो पेन ड्राइव में प्रसारित करने के लिए दिया था, वह आपको कहाँ से मिला...??
क्या फ़ोन टैपिंग (रिकॉर्डिंग) क़ानूनी तौर पर की गई थी...??
आपने मुझे पेन ड्राइव, लैपटॉप और फ़ोन डिवाइस समेत सारे सबूत नष्ट करने का निर्देश क्यों दिया...??
मुख्यमंत्री होने के बावजूद, इस आपराधिक कृत्य के सबूत होने के बावजूद, आपने सरकार गिराने की साज़िश रचने वाले अमित शाह, धर्मेंद्र प्रधान, गजेंद्र सिंह शेखावत के ख़िलाफ़ कार्रवाई क्यों नहीं की...??
शर्मा ने गहलोत पर आरोप लगाने के बजाय उन्हें तथ्यों और सबूतों के साथ प्रेस कॉन्फ्रेंस करके सच्चाई पेश करने की चुनौती दी है। इस घटना ने एक बार फिर राजस्थान की राजनीति में हलचल मचा दी है और सबकी निगाहें गहलोत की अगली प्रतिक्रिया पर टिकी हैं।
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