राजस्थान के नागौर से सांसद और राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (आरएलपी) के नेता हनुमान बेनीवाल ने जयपुर स्थित सरकारी आवास खाली करने के नोटिस को राजस्थान हाईकोर्ट में चुनौती दी है। बेनीवाल का कहना है कि संपदा विभाग की कार्रवाई में नियमों का पालन नहीं किया जा रहा है और उनके साथ अन्याय हो रहा है। इस मामले की सुनवाई अगले हफ्ते हाईकोर्ट में होने की संभावना है।
जानिए क्या है पूरा मामला
हनुमान बेनीवाल पर जयपुर के ज्योतिनगर स्थित विधायक आवास और जालूपुरा स्थित विधायक बंगले पर कब्जा करने का आरोप है। सरकार ने उन्हें 1 जुलाई को आवास खाली करने का नोटिस जारी किया था। इसके बाद चार और नोटिस भेजे गए, लेकिन बेनीवाल ने अब तक आवास खाली नहीं किया है। उनकी याचिका में कहा गया है कि संपदा अधिकारी जल्दबाजी में कार्रवाई कर रहे हैं और उनके आवेदनों को अपमानजनक टिप्पणियों के साथ खारिज कर दिया गया। बेनीवाल ने नोटिस रद्द करने और कार्रवाई की मांग की है।
पहली सुनवाई और बेनीवाल का पक्ष
इस मामले की पहली सुनवाई 11 जुलाई को हुई थी। बेनीवाल का कहना है कि वह नियमित रूप से किराया दे रहे हैं और उन्होंने किसी भी नियम का उल्लंघन नहीं किया है। उन्होंने इस कार्रवाई को राजनीतिक बदले की कार्रवाई बताया है। उनका दावा है कि प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों की अनदेखी की जा रही है।
पुखराज गर्ग और नारायण बेनीवाल की पेंशन रोकी गई
सरकार ने नियम तोड़ने के आरोप में पुखराज गर्ग और नारायण बेनीवाल की विधायक पेंशन भी रोक दी है। वहीं, हनुमान बेनीवाल को सांसद के समान वेतन और अन्य सुविधाएँ मिल रही हैं। इस पूरे विवाद ने राजस्थान की राजनीति में भूचाल ला दिया है। बेनीवाल समर्थक इसे सरकार की साजिश बता रहे हैं, जबकि सरकार का कहना है कि नियम सबके लिए बराबर हैं। इसके साथ ही अब सबकी निगाहें हाईकोर्ट के फैसले पर टिकी हैं। यह मामला न केवल बेनीवाल के लिए, बल्कि राजस्थान की राजनीति के लिए भी अहम है।
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