भरतपुर में एक इंजीनियर और एमबीए पास आरोपी ने 400 करोड़ रुपए की ठगी की। दोनों ने अपराध के लिए गिरोह बनाया और फर्जी गेमिंग और निवेश कंपनियां बनाकर सैकड़ों लोगों को जाल में फंसाया। पुलिस ने पति-पत्नी समेत तीन लोगों को गिरफ्तार किया है। पुलिस ने 1 हजार करोड़ से ज्यादा की ठगी की आशंका जताई है। भरतपुर रेंज आईजी राहुल प्रकाश ने बताया- रविंद्र सिंह (54) पुत्र त्रिलोकी नाथ सिंह बलिया (यूपी) का रहने वाला है। हाल में वह दिल्ली के द्वारका इलाके में रहता है। दूसरा आरोपी दिनेश सिंह (49) पुत्र दीनानाथ भी बलिया का रहने वाला है, फिलहाल वह दिल्ली के मोहन गार्डन इलाके में रहता है। दिनेश की पत्नी कुमकुम (38) को भी गिरफ्तार किया गया है।
रेंज आईजी ने कहा- आई-फोर्स ने की मदद
रेंज आईजी राहुल प्रकाश ने बताया- केंद्रीय एजेंसी इंडियन साइबर क्राइम कोऑर्डिनेशन सेंटर (आई-फोर्स) के डायरेक्टर राजेश कुमार ने इस मामले में हमारी मदद की। आई-फोर्स मुख्य रूप से साइबर क्राइम के मामलों को हैंडल करती है। जहां भी हमें डिटेल की जरूरत पड़ी, आईफोर्स ने हमारी मदद की और भरपूर सहयोग दिया।
धौलपुर के पीड़ित ने दर्ज कराई थी शिकायत
आईजी राहुल प्रकाश ने बताया- 6 मार्च को हरिसिंह नाम के व्यक्ति ने साइबर थाना धौलपुर के हेल्पलाइन नंबर- 1930 पर डायल कर फिनो पेमेंट बैंक के खाते से साइबर ठगी की शिकायत की थी।हेल्पलाइन पर प्राप्त शिकायतों का विश्लेषण करने के लिए रेंज साइबर वॉर रूम बनाया गया है। जब इस मामले का विश्लेषण किया गया तो चौंकाने वाले तथ्य सामने आए।जिस फिनो पेमेंट बैंक के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई गई थी, उसके खिलाफ हेल्पलाइन नंबर पर पहले से ही 3 हजार से ज्यादा शिकायतें दर्ज थीं, जो वर्तमान में 4 हजार से ऊपर पहुंच गई हैं।भरतपुर रेंज आईजी राहुल प्रकाश ने बताया- इसके बाद एक टीम गठित कर फिनो पेमेंट बैंक के बारे में डिटेल खंगाली गई। धौलपुर के शिकायतकर्ता हरिसिंह के 35 लाख रुपए लेकर चार कंपनियों के खातों में ट्रांसफर कर दिए गए।
1- रुक्नेक इंटरप्राइजेज प्राइवेट लिमिटेड (गुरुग्राम हरियाणा)
2- सेल्वा कृष्णा आईटी सॉल्यूशन प्राइवेट लिमिटेड (चेन्नई, तमिलनाडु)
3- एसकेआरसी इन्फोटेक प्राइवेट लिमिटेड (ठाणे, महाराष्ट्र)
4- नित्यश्री मैनपावर एंड कॉन्ट्रैक्ट वर्क्स (नागापट्टिनम, तमिलनाडु)
इन चारों कंपनियों के बैंक खाते तुरंत फ्रीज कर दिए गए। फिलहाल इन खातों में करीब 4 करोड़ रुपए की रकम फ्रीज है। इनमें से आरोपी दिनेश और कुमकुम रुक्नेक इंटरप्राइजेज कंपनी के डायरेक्टर निकले।ये गेमिंग एप के फर्जी लिंक देकर, शेयर मार्केट में निवेश का लालच देकर ठगी कर रहे थे। 4 महीने में इन खातों में 400 करोड़ रुपए से ज्यादा का लेन-देन हुआ है। संभावना है कि आगे की जांच में यह आंकड़ा 1 हजार करोड़ से ज्यादा हो सकता है।
बैंक सरगना रविन्द्र सिंह लेता था सीए की मदद
भरतपुर रेंज आईजी राहुल प्रकाश ने बताया- गिरोह का सरगना रविन्द्र सिंह है, जिसने एमबीए तक की पढ़ाई की है। उसका भतीजा शशिकांत पैसे लेकर ठगी में मदद करता था। शशिकांत यूपी के इलाहाबाद का रहने वाला है।आरोपियों ने कई पेमेंट गेटवे (फिनो पेमेंट, बकबॉक्स इंफोटेक, फोनपे, एबंडेंस पेमेंट, पेवाइज, ट्रिपे) आदि पर मर्चेंट जारी कर रखे हैं।आखिरकार यह सारा पैसा मुख्य सरगना के पास जा रहा था। आरोपियों द्वारा खोली गई ज्यादातर कंपनियों के पते फर्जी थे। सिम कार्ड भी फर्जी थे। रविन्द्र उन्हें फर्जी सिम मुहैया कराता था।खास बात यह है कि रविन्द्र इस ठगी में सीए की मदद भी लेता था। दिनेश और कुमकुम ने रुक्नेक के अलावा चार और कंपनियां रजिस्टर्ड कर रखी थीं। इनके अलग-अलग बैंक खाते भी हैं।
शातिर सरगना मंत्रालय में कंपनी रजिस्टर्ड करवा लेता था
भरतपुर रेंज आईजी राहुल प्रकाश ने बताया- मुख्य सरगना रविंद्र सिंह अपने आसपास के आर्थिक रूप से कमजोर लोगों से नजदीकी बनाता था। उन्हें झांसे में लेकर दो लोगों के दस्तावेज हासिल कर फर्जी कंपनी खोल लेता था।इसके बाद कंपनी का पैन कार्ड, जीएसटी, टैन नंबर, सीआईएन नंबर जारी करवा लेता था और कंपनी को कॉरपोरेट अफेयर्स मंत्रालय में रजिस्टर्ड करवा लेता था।
फिर कंपनी के नाम से बैंक खाते खुलवा लेता था। इस बैंक खाते को सरगना रविंद्र सिंह खुद हैंडल करता था। जिनके नाम पर कंपनी रजिस्टर्ड होती थी, उन्हें वह हर महीने सैलरी देता था।कंपनी रजिस्टर्ड होने के बाद पूरा गिरोह मिलकर फर्जी गेमिंग एप और निवेश का लालच देकर ठगी करता था। सबसे पहले सोशल मीडिया पर गेम और निवेश का लिंक भेजा जाता था।छोटी रकम निवेश करने का लालच देकर जीती हुई रकम पीड़ितों के बैंक खातों में जमा करवा ली जाती थी। जब भरोसा कायम हो जाता था, तो ग्राहक बड़ी रकम निवेश करते तो उसे गबन कर लेते थे।
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