बॉलीवुड सुपरस्टार सलमान खान से जुड़े 25 साल पुराने काला हिरण शिकार मामले में आज जोधपुर हाईकोर्ट में अहम सुनवाई हो रही है। इस हाई-प्रोफाइल मामले में सलमान खान की अपील और राज्य सरकार की अपील की अनुमति याचिका पर एक साथ सुनवाई हो रही है। जस्टिस संदीप शाह की अदालत में चल रही इस सुनवाई पर पूरे देश की नज़र है, क्योंकि आज का फैसला सलमान खान की सज़ा बरकरार रख सकता है, उन्हें राहत दे सकता है या उनकी मुश्किलें और बढ़ा सकता है।
काला हिरण शिकार मामला क्या है?
यह मामला 1998 का है, जब सलमान खान फिल्म "हम साथ-साथ हैं" की शूटिंग के लिए जोधपुर में थे। 1-2 अक्टूबर, 1998 की रात को जोधपुर के कांकाणी गाँव के पास कथित तौर पर दो काले हिरणों का शिकार किया गया था। काला हिरण वन्यजीव संरक्षण अधिनियम के तहत एक संरक्षित प्रजाति है और इस घटना में सलमान खान मुख्य आरोपी थे। सैफ अली खान, तब्बू, नीलम, सोनाली बेंद्रे और दुष्यंत सिंह भी मौजूद थे। इस घटना के बाद, सलमान और अन्य के खिलाफ वन्यजीव संरक्षण अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया था। यह मामला बिश्नोई समुदाय के लिए भी संवेदनशील था, क्योंकि वे काले हिरण को पवित्र मानते हैं।
निचली अदालत का फैसला
लंबी कानूनी लड़ाई के बाद, 5 अप्रैल, 2018 को जोधपुर की निचली अदालत ने सलमान खान को दोषी ठहराया और उन्हें 5 साल की कैद और ₹10,000 के जुर्माने की सजा सुनाई। हालाँकि, सह-आरोपी सैफ अली खान, तब्बू, नीलम, सोनाली बेंद्रे और दुष्यंत सिंह को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया गया। सजा सुनाए जाने के बाद, सलमान को जोधपुर सेंट्रल जेल भेज दिया गया, लेकिन दो दिन बाद 7 अप्रैल, 2018 को उन्हें जमानत मिल गई। इसके बाद सलमान ने निचली अदालत के फैसले को उच्च न्यायालय में चुनौती दी।
उच्च न्यायालय में दो अपीलें
आज की सुनवाई में दो याचिकाओं पर विचार किया जाएगा। पहली, सलमान खान की अपील, जिसमें उन्होंने अपनी 5 साल की सजा को रद्द करने की मांग की है। उनके वकील का दावा है कि निचली अदालत का फैसला तथ्यों पर आधारित नहीं है और सलमान को झूठा फंसाया गया है। दूसरी बात, राजस्थान सरकार की अपील याचिका में सैफ अली खान, तब्बू, नीलम, सोनाली बेंद्रे और दुष्यंत सिंह को बरी किए जाने को चुनौती दी गई है। सरकार का तर्क है कि इन सह-आरोपियों को बरी करना गलत था और उनके खिलाफ भी कार्रवाई की जानी चाहिए।
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