ऑपरेशन सिंदूर में सेना की ओर से एक युद्ध लड़ा जा रहा था जिसे पाकिस्तानी सेना पर हमले के तौर पर देखा जा रहा था, लेकिन इसी बीच सीमा पर एक और युद्ध लड़ा जा रहा था और वो था पाकिस्तानी जासूसी के खिलाफ। राजस्थान में पाकिस्तानी जासूसों के एक बड़े नेटवर्क का पर्दाफाश हुआ है। सीमावर्ती इलाकों में ऐसे जासूस पकड़े गए हैं जो राजस्थान में कांग्रेस सरकार के दौरान मंत्रियों के पीए रह चुके हैं।
मोबाइल स्क्रीन पर हसीना मुस्कुरा रही है। तरह-तरह की आड़ें दिखाती हसीना। मोबाइल के दूसरी तरफ से एक पुरुष की आवाज आती है। राजस्थान में भारतीय सीमा के पार पाकिस्तान के जासूसी नेटवर्क का एक नमूना ये है। हनी ट्रैप साजिश उन्हीं साजिशों में से एक है जो पाकिस्तान ने भारत के खिलाफ जासूसी के लिए रची है।
सुरक्षा और खुफिया एजेंसियों ने भारतीय धरती पर बैठकर भारत के खिलाफ पाकिस्तान के लिए जासूसी करने की अनगिनत आवाजें पकड़ी हैं। इस पूरी कहानी को समझने के लिए बात करते हैं भारत-पाकिस्तान के सीमावर्ती इलाकों की। जहां दूर-दूर तक रेगिस्तानी इलाका है। हरियाली का नामोनिशान नहीं है। बीच में एक-दो घर हैं। राजस्थान के जैसलमेर से सटे पाकिस्तानी सीमा पर इन इलाकों में कोई बड़ी बस्तियां नहीं हैं। कोई घनी आबादी भी नहीं दिखती। लेकिन यहां कब्रें दिखने लगी हैं। रेगिस्तान में मस्जिदें दिखने लगी हैं।
सीमावर्ती इलाकों में इन दरगाहों और मस्जिदों का होना जितना बड़ा खतरा है, उससे कहीं ज्यादा खतरा यह है कि पाकिस्तान ने इन इलाकों में जासूसी का बड़ा नेटवर्क खड़ा कर रखा है। और जब ऑपरेशन सिंदूर के दौरान बीएसएफ, सेना, पुलिस, स्थानीय प्रशासन और खुफिया एजेंसियों ने इन सीमावर्ती इलाकों में निगरानी बढ़ाई तो एक बड़े जासूसी नेटवर्क का पर्दाफाश हुआ। आरोपी शकूर खान, भवानी, पठान खान। ऐसे न जाने कितने नाम हैं जिन्हें सुरक्षा एजेंसियों ने पाकिस्तान के लिए जासूसी करने के आरोप में पकड़ा है। इसमें से शकूर खान नाम का शख्स कांग्रेस सरकार में मंत्री रह चुका है, सालेह मोहम्मद और इस दौरान वह 8 बार पाकिस्तान जा चुका है।
पूर्व मंत्री सालेह मोहम्मद का पीए शकूर खान और पूर्व रेलवे कर्मचारी भवानी एक ही व्यक्ति नहीं हैं। सीमावर्ती इलाकों में पाकिस्तान ने जासूसी के नाम पर कई हथकंडे अपनाए और अनगिनत नेटवर्क बनाए, जो भारतीय सुरक्षा से जुड़ी सूचनाएं पाकिस्तान तक पहुंचाते थे। ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारतीय सुरक्षा बलों और खुफिया तंत्र की सतर्कता से पाकिस्तान के इस नेटवर्क का पर्दाफाश तो हो गया, लेकिन अभी तक यह पता नहीं चल पाया है कि पाकिस्तान की इन साजिशों के तार कहां तक पहुंचे हैं। यह अनुमान लगाना भी मुश्किल है कि अब तक पाकिस्तान को कितनी सूचनाएं पहुंचाई गई हैं, खासकर सीमा पर सुरक्षा बलों और सामरिक ठिकानों के बारे में। अब सवाल यह है कि पाकिस्तान भारत के सीमावर्ती इलाकों में जासूसी नेटवर्क बनाने में कैसे कामयाब हो गया?
पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई ने ऐसी कौन सी तरकीबें अपनाईं कि सीमावर्ती इलाकों के लोग भारत की खुफिया सूचनाएं उन तक पहुंचाने लगे? आज टीम सीमावर्ती गांवों में पहुंची, जहां से सुरक्षा बलों ने कुछ आरोपियों को पकड़ा था। एक तरफ भारतीय सेना पाकिस्तानी दुश्मनों का सफाया कर रही थी। दूसरी तरफ भारतीय धरती पर पाकिस्तानी साजिश की परतें खुल रही थीं। अब बात करते हैं पाकिस्तान से आई मिठाई के पैकेट की, जिसे बड़ी सावधानी से खोला गया। सबसे पहले ऊपर प्लास्टिक का थैला था। अंदर से एक पैकेट निकला जो पीले रंग के प्लास्टिक में काले टेप से सील था। उस प्लास्टिक के अंदर एक मिठाई का डिब्बा था। जैसे ही उसे खोला गया तो उसमें रंग-बिरंगी मिठाइयां दिखाई दीं। जांच एजेंसियों ने मिठाई के डिब्बे को कुछ देर तक देखा और एक मिठाई उठा ली। उस मिठाई के अंदर एक पाकिस्तानी मोबाइल सिम कार्ड था। यह सिम कार्ड पाकिस्तान ने भारत में अपने जासूस को भेजा था ताकि उससे खुफिया जानकारी ली जा सके।
अब यह खुलासा कैसे हुआ? इसका सबूत एक बातचीत से मिला, जिसे एजेंसियों ने इंटरसेप्ट किया था। जब खुफिया एजेंसियों ने ऐसी बातचीत सुनी तो कार्रवाई शुरू हुई। पता चला कि इस साजिश के तार बहुत गहरे हैं। पाकिस्तान में बैठे हैंडलर और भारत में बैठे जासूस के बीच ऐसी बातचीत में पैसों के लेन-देन की बातचीत हो रही है और हैंडलर उसे यह भी निर्देश देता है कि नेटवर्क को कैसे और आगे बढ़ाया जाए।
और जब इन सुरागों पर कार्रवाई शुरू हुई तो राजस्थान के सीमावर्ती इलाकों से जासूसों के बाद जासूस पकड़े गए। भारत और पाकिस्तान की सीमा पर स्थित ये इलाके इतने दुर्गम इलाके में हैं कि यहां आना-जाना मुश्किल है। रेत के टीलों और कंटीली झाड़ियों वाले इलाके में कुछ घरों वाले छोटे-छोटे गांव या बस्तियां हैं। उन गांवों के लोगों में से कुछ लोग पाकिस्तान को खुफिया जानकारी देने के आरोप में पकड़े गए थे। दरअसल, पाकिस्तानी आईएसआई हनी ट्रैप के जरिए इस इलाके में न सिर्फ जासूसी नेटवर्क स्थापित कर रही है, बल्कि पैसों का लालच देकर खुफिया जानकारी भी ले रही है। कई बार इन सीमावर्ती इलाकों में पढ़े-लिखे लोग लालच में आकर जानबूझकर भारत के खिलाफ जासूसी करते रहते हैं। लेकिन कई बार पाकिस्तानी आईएसआई की साजिशों के जाल में फंसकर भी अनजाने में खुफिया जानकारी दे देते हैं। भारत के लिए इस समय चिंता की बात यह है कि जिस तरह से जासूसों और हैंडलर्स के बीच बातचीत का पता चला है। सुरक्षा और सेना के अंदर जासूसी की आशंका है। इसे जल्द से जल्द खत्म करना बेहद जरूरी है।
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