
मुंबई। महाराष्ट्र में ओबीसी आरक्षण को लेकर राजनीति और तनाव गहराता जा रहा है। महाराष्ट्र सरकार में मंत्री और वरिष्ठ ओबीसी नेता छगन भुजबल ने इसे लेकर बड़ा बयान दिया है। मंत्री भुजबल ने मराठा आरक्षण जीआर को दबाव में लिया गया निर्णय बताया और चेतावनी दी कि ओबीसी कोटा पर किसी तरह का अतिक्रमण नहीं होने देंगे। लातूर में आत्महत्या करने वाले भारत कराड के परिवार से मिलने के बाद भुजबल ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने भी माना है कि मराठा समाज पिछड़ा वर्ग नहीं है। भुजबल ने कहा कि ''ओबीसी को रिजर्वेशन दिलाने के लिए पहले कुर्बानी देनी पड़ी थी और अब रिजर्वेशन बचाने के लिए भी कुर्बानी देनी पड़ रही है''।
दरअसल, कुछ दिनों पहले मराठा समाज को हैदराबाद गैजेट के आधार पर आरक्षण दिए जाने के फैसले से ओबीसी समाज में नाराज़गी बढ़ गई थी। इसी बीच लातूर के युवक भरत कराड ने मांजरा नदी में छलांग लगाकर आत्महत्या कर ली थी। भरत कराड के पास से पुलिस को एक सुसाइड नोट भी बरामद हुआ था, जिसमें उसने सरकार पर अन्याय का आरोप लगाया था। कराड ने कथित तौर पर यह कदम इसलिए उठाया क्योंकि उन्हें डर था कि मराठा आरक्षण जीआर से ओबीसी आरक्षण प्रभावित होगा।
शुक्रवार को लातूर दौरे पर पहुंचे मंत्री छगन भुजबल ने जिले के वांगदरी गांव में आत्महत्या करने वाले 35 वर्षीय भरत कराड के परिजनों से मुलाकात की और उन्हें सांत्वना दी। भुजबल के साथ एनसीपी नेता और पूर्व मंत्री धनंजय मुंडे भी मौजूद थे।
भुजबल ने दावा किया कि समुदाय के लोग विभिन्न प्रकार के आरक्षणों के सबसे बड़े लाभार्थी हैं और यह रिकॉर्ड से पूरी तरह स्पष्ट है। भुजबल ने कहा, मैं उन सभी लोगों से जवाब की उम्मीद करता हूं जिन्हें इस मुद्दे की समझ है और जो विद्वान हैं। मैं किसी ऐसे व्यक्ति से जवाब की उम्मीद नहीं करता जो इस मुद्दे को नहीं समझता। छगन भुजबल ने इस दौरान साफ कहा कि सरकार ओबीसी का हक किसी भी कीमत पर छिनने नहीं देगी।
भुजबल ने मराठा नेताओं को आरक्षण पर रुख स्पष्ट करने की चुनौती दी
इससे पहले खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री छगन भुजबल ने मराठा समुदाय के नेताओं को इस मुद्दे पर अपना रुख स्पष्ट करने की चुनौती दी कि क्या समुदाय को आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग और सामाजिक एवं शैक्षणिक रूप से पिछड़ा वर्ग (एसईबीसी) के तहत आरक्षण दिया जाना चाहिए। लातूर जाने से पहले नासिक में मीडिया से बात करते हुए भुजबल ने कहा कि मराठा समुदाय में विद्वान लोग हैं जो मुख्यमंत्री, केंद्र में मंत्री, विधायक और सांसद रह चुके हैं और उन सभी को इस मुद्दे पर खुलकर बोलना चाहिए कि क्या समुदाय को आरक्षण का लाभ मिलना चाहिए। चाहे वो आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग से हो या सामाजिक एवं शैक्षणिक रूप से पिछड़ा वर्ग से हो।
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